रूबेला जानें लक्षण, बचाव, टीका और भारत में कैसा है प्रभाव !

रूबेला जानें लक्षण, बचाव, टीका और भारत में कैसा है प्रभाव !

रूबेला

रूबेला का टीका बच्चों और वयस्कों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में रूबेला टीका महत्वपूर्ण टीकाकरण कार्यक्रमों का हिस्सा है। सरकार ने रूबेला को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए कई पहल की हैं।

परिचय

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं रूबेला के बारे में, जिसे जर्मन खसरा भी कहा जाता है, असल में यह एक वायरल संक्रमण है जो विशेष रूप से बच्चों में होता है। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा पर लाल चकत्ते और हल्के बुखार के रूप में प्रकट होता है। हालांकि रूबेला के लक्षण हल्के होते हैं लेकिन यह गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है और गर्भपात या शिशु में जन्मजात विकृतियों का कारण बन सकता है। इसलिए बने रहिए हमारे इसस लेख के साथ ताकि रूबेला के बारे में आप सब ककुच जान सकें |

रूबेला के लक्षण

रूबेला के लक्षण की बात की जाए तो यह सामान्यतः संक्रमण के 2-3 सप्ताह बाद प्रकट होते हैं। जैसे -

  • त्वचा पर लाल चकत्ते देखने को मिलेगा
  • हल्का बुखार हो जाएगा
  • गले में खराश होई जाएगी
  • सिरदर्द होगा
  • जोड़ों में दर्द होगा

रूबेला टीका

रूबेला का टीका बच्चों और वयस्कों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में रूबेला टीका महत्वपूर्ण टीकाकरण कार्यक्रमों का हिस्सा है। सरकार ने रूबेला को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए कई पहल की हैं। जैसे -

  • मिशन इंद्रधनुष,
  • MR अभियान (Measles-Rubella Campaign)
  • नियमित टीकाकरण कार्यक्रम
  • इसलिए या तो आप सीधे क्लिनिक में जाके रूबेला का टीका लगवा सकते हैं या फिर इन अभियानों में भाग लेकर टीका लगवा सकते हैं | टीका 97% तक प्रभावी होता है। इसलिए टीका जरूर लगवाएं |

    रूबेला का इलाज

    रूबेला की इलाज की बात की जाए तो इसका कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है। बुखार और दर्द के लिए दर्दनाशक दवाएं, आराम, और तरल पदार्थों का सेवन लाभकारी होते हैं। और यदि मामला गंभीर हो तो डॉक्टर से जरूर मदद लें |

    भारत में रूबेला का प्रभाव

    दोस्तों भारत में रूबेला एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है, खासकर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए। क्योंकि रूबेला संक्रमण से गर्भवती महिलाओं में गर्भपात, मृत जन्म और जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (CRS) के मामले होते हैं। जो CRS जैसे गंभीर जन्म दोषों का कारण बन जाता है जैसे हृदय दोष, बहरापन और अंधापन आदि ।

    प्रमुख प्रभाव

  • गर्भवती महिलाओं और शिशुओं पर प्रभाव : अगर गर्भावस्था के पहले तिमाही में रूबेला संक्रमण होता है तो गर्भपात और CRS का खतरा बढ़ जाता है। CRS के कारण शिशुओं में गंभीर जन्म दोष हो जाते हैं जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं।
  • टीकाकरण की आवश्यकता: अभी भी भारत में रूबेला के व्यापक प्रसार को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियानों की आवश्यकता है। सरकार ने मिशन इंद्रधनुष और MR अभियान जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से टीकाकरण कवरेज को बढ़ाने का प्रयास किया है। अतः आप भी जागरूकता फैलाने का कोशिश जरूर करें |
  • टीकाकरण अभियान और उनकी सफलता: मिशन इंद्रधनुष और MR अभियान के तहत, भारत ने लाखों बच्चों को रूबेला और खसरा के खिलाफ टीकाकरण किया है। इन अभियानों का मुख्य उद्देश्य रूबेला और खसरा को समाप्त करना है। 2017 में शुरू हुए MR अभियान ने अब तक करोड़ों बच्चों को टीकाकरण प्रदान कर चुका है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का दृष्टिकोण

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) रूबेला को एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या मानता है और सभी देशों को रूबेला टीकाकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की सिफारिश करता है। WHO ने भी सभी देशों को रूबेला और जन्मजात रूबेला सिंड्रोम को समाप्त करने का लक्ष्य दिया है |

निष्कर्ष

रूबेला एक रोकी जा सकने वाला रोग है, बशर्ते कि लोगों को टीकाकरण और स्वस्थ आदतों को अपनाना होगा। जागरूकता फैलाना और टीकाकरण कार्यक्रमों में भाग लेना समाज को इस संक्रमण से सुरक्षित रखने के महत्वपूर्ण कदम हैं। आशा करते हैंआपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा और आप भी जागरूकता फैलाने का काम करेंगे |

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